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<div class="row"><br></div> <div class="row"> <div class="span6"> <div class="headline-page"><h3>Welcome to College!</h3></div> </div> <div class="span2"> <a href="#"><img src="https://esstoragesv2.blob.core.windows.net/esstoragesv2/34284_21fb.png"></a> <a href="#"><img src="https://esstoragesv2.blob.core.windows.net/esstoragesv2/41323_0870.png"></a> <a href="#"><img src="https://esstoragesv2.blob.core.windows.net/esstoragesv2/34282_e0e5.png"></a> </div> </div> <div class="row"><br></div> <img style="width:100%;" src="https://az704457.vo.msecnd.net/img/esstoragesv2/50079_d525.gif"> <div class="row"><br></div> <div class="headline-page"><h3>President's Message</h3></div> <div class="row"> <div class="span4"> <div class="picture"> <a title="Image Title" href="https://az704457.vo.msecnd.net/img/esstoragesv2/52031_e9f6.jpg" rel="image"> <img style="width:100%;" alt="" src="https://az704457.vo.msecnd.net/img/esstoragesv2/52031_e9f6.jpg"> </a> </div> <h5 class="entry-title entry-title-portfolio">सत्यव्रत सामवेदी<br>President</h5> </div> <div class="span4"> <p style="text-align: justify;"><b>Dear Students & Well Wishers,</b></p> <p style="text-align: justify;">शिक्षा का उद्देष्य मनुष्य का आरोहण है। आरोहण तमस् से ज्योति की ओर वेद का संदेश है <b>"उद्यानमृते पुरूष नावयानम् "</b>। वेद मानव को आह्वान करते हुए संदेश देता है <b>"अमृत के पुत्रों! सुनो, तुम्हें उध्र्वगामी बनना है, अवरोहण नहीं करना है। "</b> वैदिक संस्कृति में शिक्षा का उद्देष्य मृत्यु की नदी को पार करके अमरत्व को प्राप्त करना है। जन्मना सब शूद्र होते हैं परन्तु शिक्षा के माध्यम से मुनष्य पशुत्व से मुक्ति प्राप्त करता हुआ मानव बनता है और मानव से देवता बनता है। इसलिए कबीर ने गुरू का नमन करते हुए कहा-च्च्जिन मनुष्य ते देवता करत न लागहिं बारच्च् इस प्रकार शिक्षा का उद्देष्य देवत्व की प्राप्ति है परन्तु आधुनिक शिक्षा प्रणाली ने मानव जाति को विनाश के कगार पर खड़ा कर दिया है। वर्तमान शिक्षा प्रणाली भोगवाद को ही जीवन का लक्ष्य मानती है और योग्यतम के विजय के सिद्वान्त का प्रतिपादन करती है। यह आसुरी शिक्षा है। वैदिक शिक्षा आत्म विकास, मानसिक विकास और <b>"इंद न मम् "</b> (अर्थात् मेरा कुछ नहीं है। सब कुछ समाज का है) आदि उदात्त्त विचारों का प्रतिपादन करती है। </p></div> </div> <p style="text-align: justify;"><b>"इंद मम् एवं न मम् "</b> का संघर्ष चल रहा है। वैदिक शिक्षा प्रणाली विषयों की पूर्ति को ही मनुष्य का लक्ष्य मानती है। महर्षि दयानन्द ने वैदिक शिक्षा प्रणाली का दिग्दर्शन कर विश्व को ऊध्र्वगामी बनाने का पथ प्रशस्त किया । हम उस मार्ग पर नहीं चल रहे इसलिए आत्मकेन्द्रित मानव ने मत्स्य न्याय का विश्व को प्रेरित नहीं करेंगे तब तक विश्व में आध्यात्मिक, आधिभौतिक एवं आधिदैविक शांति नहीं हो सकती। आर्य समाज के आदर्शों से अनुप्राणित शिक्षण संस्थाओं में नयी पीढ़ी को हम प्रेय एवं श्रेय मार्ग का पथिक बनाना चाहते हैं जहाँ त्याग है, समर्पण है, बलिदान है, सहृदयता है, सामंजस्य भाव है, अद्वैष है, प्रेम है, स्नेह है, संवेदना है, सहानुभूति है, परोपकार है। ईश्वर हमें शक्ति दे कि मानव समाज की नयी पीढ़ी इन उदात्त आदर्शों से प्रेरित होकर नारकीय अग्नि में जलते हुए संसार को स्वर्ग बना सके। </p> <p style="text-align: justify;"></p> <div class="headline-page"><h3>Secretary's Message</h3></div> <div class="row"> <div class="span4"> <div class="picture"> <a title="Image Title" href="https://az704457.vo.msecnd.net/img/esstoragesv2/52033_ec24.jpg" rel="image"> <img style="width:100%;" alt="" src="https://az704457.vo.msecnd.net/img/esstoragesv2/52033_ec24.jpg"> </a> </div> <h5 class="entry-title entry-title-portfolio">चक्रकीर्ति सामवेदी<br>Secretary</h5> </div> <div class="span4"> <p style="text-align: justify;"><b>Dear Students & Well Wishers,</b></p> <p style="text-align: justify;">महर्षि दयानन्द सरस्वती भारत वर्ष में नारी शिक्षा के सूत्रधार थे। महर्षि के आविर्भाव से पूर्व हमारे देश में <b>"शूद्रो न धीयताम् "</b>, अर्थात् नारी व शूद्र को पढ़ने का अधिकार नहीं है, की स्थिति थी। नारी की दशा अत्यन्त शोचनीय थी व स्त्री को पुरूष के समकक्ष अधिकार प्राप्त नहीं थे। महर्षि ने प्राचीन आर्यावर्त में प्रचलित वैदिक धर्म के सिद्धांतो को पुनः प्रतिष्ठापित करते हुए ईश्वरकृत ग्रन्थ वेदों के उद्धरणों से यह स्पष्ट किया कि नारी को भी पढ़ने का समान अधिकार प्राप्त है। नारी शिक्षा के प्रसार में आर्य समाज की भूमिका हमारे देश के इतिहास में स्वर्णाक्षरों से मंडि़त है। शिक्षा के प्रचार-प्रसार में आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वती द्वारा अनेकानेक महती कार्य यथा नारी शिक्षा, दहेज प्रथा उन्मुलन, बाल-विवाह निषेध, विधवा विवाह आदि उस युग में सम्पादित किए गए जबकि सम्पूर्ण भारतवर्ष अज्ञानता, पाखंड व रूढि़वाद के अंधकार में डूबा हुआ था। इन समस्त बुराईयों से उबरने की एक मात्र किरण नारी शिक्षा के प्रसार में ही निहित थी। </p> </div> </div> <p style="text-align: justify;">अतः नारी शिक्षा के महान यज्ञ में आर्य समाज के प्रचारकों व निष्ठावान कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार आषाढ़ शुक्ल नवमीं संवत् 2051 तद्नुसार 7 जुलाई 1995 को जयपुर शहर के उपनगर मानसरोवर में वैदिक बालिका महाविद्यालय के रूप में अपनी आहुति प्रदान की। दूरस्थ स्थानों यथा मानसरोवर, सांगानेर, वैशाली नगर, त्रिवेणी नगर, सोडाला, दुर्गापुरा आदि अनेक कॉलोनियां में रहने वाली छात्राओं की आवागमन व अध्ययन की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए इस महाविद्यालय का शुभारम्भ किया गया। इन दूरस्थ स्थानों पर सर्वप्रथम वैदिक बालिका महाविद्यालय ने ही उच्च शिक्षा के क्षेत्र में छात्राओं को अध्ययन की सुविधा विज्ञान, वाणिज्य व कला संकायों में उपलब्ध कराई। इस महाविद्यालय की स्थापना से इन उपनगरों में रहने वाले अभिभावकों ने राहत की सांस ली व अपनी पुत्रियों की उच्च शिक्षा की कठिनाई से भी मुक्त हुए। </p> <p style="text-align: justify;">आज यह महाविद्यालय निरन्तर प्रगति के पथ पर अग्रसर है एवं नित नए विषय नए युग की मांग के अनुसार छात्राओं को उपलब्ध कराने हेतु प्रयत्नशील भी। </p> <p style="text-align: justify;">वर्तमान महाविद्यालय के कला संकाय में 12 विषय, विज्ञान में 4, वाणिज्य में 3 विषयों में अध्यापन कराया जा रहा है। जयपुर के गिने चुने महाविद्यालय जिनमें गृहविज्ञान संकाय (बी. एससी. गृहविज्ञान) में अध्ययन कराया जाता है उनमें वैदिक बालिका पी.जी. महाविद्यालय का प्रमुख स्थान है। </p> <p style="text-align: justify;">वर्तमान में महाविद्यालय स्नाताकोत्तर स्वरूप ग्रहणकर चुका है। महाविद्यालय में स्नातकोत्तर स्तर पर विज्ञान संकाय में रसायन शास्त्र, प्राणिशास्त्र, वनस्पति शास्त्र, भूगोल व गृहविज्ञान संकाय में Food & Nutrition में स्नातकोत्तर स्तर पर अध्ययन हो रहा है। कला संकाय में स्नातकोत्तर स्तर पर चित्रकला, संगीत, राजनीति शास्त्र, लोक प्रशासन, समाज शास्त्र व भूगोल विषयों में अध्ययन की सुविधा उपलब्ध है। </p> <p style="text-align: justify;">यह महाविद्यालय राजस्थान विश्वविद्यालय से सम्बद्ध है। हमारे व्याख्याता योग्य एवं अनुभवी होने के साथ ही अपने उत्तरदायित्वों के प्रति समर्पित है। महाविद्यालय प्रशासन एवं प्रबन्ध छात्राओं के बौद्धिक, शारीरिक एवं नैतिक विकास में रूचि रखते हुए सर्वतोमुखो विकास के लिए उन्हें प्रेरित एवं प्रोत्साहित करना कर्तव्य मानता है। हमारा प्रयास है कि हम शिक्षा जगत में अपना एक विषिष्ट स्थान बनाये एवं इसके लिए महाविद्यालय की प्रबन्ध समिति सतत् प्रयासरत् है। </p> <div class="headline-page"><h3>Director's Message</h3></div> <div class="row"> <div class="span4"> <div class="picture"> <a title="Image Title" href="https://az704457.vo.msecnd.net/img/esstoragesv2/52032_87a6.jpg" rel="image"> <img style="width:100%;" alt="" src="https://az704457.vo.msecnd.net/img/esstoragesv2/52032_87a6.jpg"> </a> </div> <h5 class="entry-title entry-title-portfolio">धनश्याम धर त्रिपाठी<br>Director</h5> </div> <div class="span4"> <p style="text-align: justify;"><b>Dear Students & Well Wishers,</b></p> <p style="text-align: justify;">महाविद्यालय में प्रवेश लेने वाली प्रत्येक छात्रा का एक सपना होता है, एक लक्ष्य होता है, एक उद्देष्य होता है जिसे क्रियान्वित करने हेतु छात्रा महाविद्यालय में प्रवेश लेती है। उसके इसी सपने को उचित दिशा देने तथा महर्षि दयानन्द सरस्वती की नारी शिक्षा की अवधारणा को चरितार्थ करने की दृष्टि से जुलाई 1995 में वैदिक बालिका महाविद्यालय की स्थापना की गई। तब से आज तक यह संस्था महिला शिक्षा के प्रसार के साथ ही नारी सशक्तिकरण की दिशा में निरन्तर प्रयत्नशील है। वर्तमान समय कठोर प्रतिस्पर्धा का समय है। हमारा मूल उद्देष्य चरित्रवान ऊर्जावान परिश्रमी, संघर्षशील व्यक्तित्व वाली छात्रा तैयार करना है जो प्रतिस्पर्धात्मक जीवन की प्रतियोगिता में निरन्तर सफलता प्राप्त करे। वैदिक बालिका पी.जी.महाविद्यालय अन्य महाविद्यालय से इस अर्थ में एक कदम आगे है, कि यहां कि प्राध्यापिकायें अपनी छात्राओं की उन्नति में व्यक्तिगत रूचि लेकर उन्हें निरन्तर सफलता की ओर प्रेरित करती है। समय-समय पर विभिन्न कम्पनियों की और से प्लेसमेंट आयोजित कर छात्राओं के रोजगार के लिए प्रयत्नशील रहती है तथा विशेष रूचि लेती है। </p> </div> </div> <p style="text-align: justify;">हमारा विश्वास है आज के प्रतिस्पर्धा पूर्ण समय में जा सारस्वत परिवेश छात्राओं को सुलभ होना चाहिए वह इसी महाविद्यालय में मिल सकता है। जीवन के निर्धारित लक्ष्यों की पूर्ति में यह महाविद्यालय छात्राओं का सतत् मार्गदर्शन करेगा तथा जीवन में उन्नति के लिए संजोये सपनों को साकार करेगा। </p> <p style="text-align: justify;">इसके अतिरिक्त खेल-कूद व सांस्कृतिक कार्यक्रमों जैसी शिक्षणेत्तर गतिविधियों व एन.सी.सी., एन.एस.एस., के माध्यम से छात्राओं के समग्र विकास में भी हम योगदान देते रहते है। महाविद्यालय में प्रवेश लेने वाली छात्राओं से हमारी इतनी ही अपेक्षा है कि वे संस्था के आदर्शों को ध्यान में रखते हुए निष्ठापूर्वक अध्ययन करें तथा संस्था की शिक्षणेत्तर गतिविधियों में समय-समय पर सक्रिय भाग ले। सत्रारम्भ पर आप सभी का हार्दिक स्वागत और आपके उज्ज्वल भविष्य के लिए हार्दिक शुभकामनायें। </p> <div class="row"> <div class="span3"> <div class="info-pad alert alert-success"> <div class="info-pad-title"> <h3>Related Sites</h3> </div> <p><i class="icon-check"></i> <a href="http://www.uniraj.ac.in/">UOR</a></p> <p><i class="icon-check"></i> <a href="http://result.uniraj.ac.in/">Result</a></p> <p><i class="icon-check"></i> <a href="https://esstoragesv2.blob.core.windows.net/esstoragesv2/7373_23a6.pdf">RSCIT</a></p> <p><i class="icon-check"></i> <a href="http://univexam.co.in/">Permission Letter</a></p> <div class="clear"></div> </div> </div> <div class="span5"> <div class="info-pad alert alert-warning"> <div class="info-pad-title"> <h3>Dayanand Vaidik Group of Institutions</h3> </div> <p><i class="icon-check"></i> <a href="http://mdbedjaipur.org/">M.D. B.Ed. College, Adarsh Nagar</a></p> <p><i class="icon-check"></i> <a href="http://mdlawcollegejaipur.org/">M.D. Law College, Adarsh Nagar</a></p> <p><i class="icon-check"></i> <a href="nolink">Aryan Primary School, Mansarovar</a></p> <p><i class="icon-check"></i> <a href="nolink">Dayanand Public School, Mansarovar</a></p> <p><i class="icon-check"></i> <a href="nolink">D.A.V. Central School, Adarsh Nagar</a></p> <p><i class="icon-check"></i> <a href="nolink">D.A.V. College, Adarsh Nagar</a></p> <p><i class="icon-check"></i> <a href="nolink">Vedik Balika Sr. Sec. School, Raja Park</a></p> <p><i class="icon-check"></i> <a href="nolink">Vedik Kanya P.G. College, Raja Park</a></p> <div class="clear"></div> </div> </div> </div>
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Established : Jul/2016
100-200 students
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